नफ़रत की दीवार
मोहब्बत है तुमको भी मोहब्बत हमको भी
तो फिर मोहब्बत का सिला हम क्यों नहीं देते
है दिल टूटा तुम्हारा भी है दिल टूटा हमारा भी
तो फिर टूटे दिलों को अब मिला हम क्यों नहीं देते
बीच है नफरत की जो दीवार तुम्हारे भी हमारे भी
चलो दोनों मिलकर आज गिरा हम क्यों नहीं देते
