Sukhpreet SinghJan 13, 20221 min readरस्म- ओ -रिवाजकितने रस्म- ओ -रिवाज निभाता है आदमी गमों में भी अकसर मुस्कुराता है आदमी कैसे महान कहूं इस जहां के रीति-रिवाजों को जिसने जन्म दिया उसी को जलाता है आदमी
कितने रस्म- ओ -रिवाज निभाता है आदमी गमों में भी अकसर मुस्कुराता है आदमी कैसे महान कहूं इस जहां के रीति-रिवाजों को जिसने जन्म दिया उसी को जलाता है आदमी