top of page

रस्म- ओ -रिवाज

कितने रस्म- ओ -रिवाज निभाता है आदमी

गमों में भी अकसर मुस्कुराता है आदमी

कैसे महान कहूं इस जहां के रीति-रिवाजों को

जिसने जन्म दिया उसी को जलाता है आदमी




7 views0 comments

Recent Posts

See All
bottom of page